hindisamay head


अ+ अ-

कविता

सहानुभूति की माँग

उदय प्रकाश


आत्मा इतनी थकान के बाद
एक कप चाय माँगती है
पुण्य माँगता है पसीना और आँसू पोंछने के लिए एक
तौलिया
कर्म माँगता है रोटी और कैसी भी सब्जी

ईश्वर कहता है सिरदर्द की गोली ले आना
आधा गिलास पानी के साथ

और तो और फकीर और कोढ़ी तक बंद कर देते हैं
थक कर भीख माँगना
दुआ और मिन्नतों की जगह
उनके गले से निकलती है

उनके गरीब फेफड़ों की हवा

चलिए मैं भी पूछता हूँ
क्या माँगूँ इस जमाने से मीर
जो देता है भरे पेट को खाना
दौलतमंद को सोना, हत्यारे को हथियार,
बीमार को बीमारी, कमजोर को निर्बलता
अन्यायी को सत्ता
और व्याभिचारी को बिस्तर

पैदा करो सहानुभूति
कि मैं अब भी हँसता हुआ दिखता हूँ
अब भी लिखता हूँ कविताएँ।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ



अनुवाद